MANGAL DOSH PRABHAW :प्रबल मंगल दोष से है पीड़ित ? मंगल दोष शांति के लिए जाएँ उत्तर भारत के 6 प्रसिद्द मंदिर

MANGAL DOSH PRABHAW: कुंडली में मंगल दोष तब बनता है जब की मंगल ग्रह आपकी कुंडली के पहले,चौथे,सातवें ,आठवें या बारहवें भाव में हो। इसमें यदि मंगल स्वगृही या उच्च का हुआ तो प्रबल मंगल दोष सृजित करता है। मांगलिक कुंडलियों की शादिया इसी लिए अक्सर विलम्ब से होती है,नहीं होती है या होने के बाद भी आपसे में सम्ब्नध विच्छेद हो जाता है।मंगल दोष (Mangal Dosh) अथवा कुंडली में मंगल ग्रह की अशुभ स्थिति वैवाहिक जीवन, स्वास्थ्य और मानसिक संतुलन को प्रभावित कर सकती है।
देखा जाये तो उत्तर भारत एक ऐसी पवित्र और मान्यताप्राप्त जगह है जहाँ कुछ ऐसे प्राचीन और सिद्ध मंदिर हैं, जिनमे विशेष पूजा-पाठ और अनुष्ठान करके मंगल दोष की शांति की जा सकती है। आइए इस लेख में जानते है उन पवित्र स्थलों और प्रभावशाली उपायों के बारे में जिससे आपकी कुंडली में यदि मंगल दोष है तो उसके उपाय किये जा सकते हैं और आपको इस दोष से छुटकारा मिल सकता है।
उत्तर भारत के प्रमुख मंदिर जहाँ मंगल दोष की शांति होती है:MANGAL DOSH PRABHAW
१ .नवग्रह मंदिर(वाराणसी, उत्तर प्रदेश)
वाराणसी शुरू से ही धर्म और अध्यात्म की प्राचीन नगरी रही है।वाराणसी के प्राचीन मुहल्ले में स्थापित यह मंदिर खगोल विद्या और ग्रहों की शक्ति को संतुलित करने का केंद्र है।यहाँ विशेष रूप से मंगल ग्रह के लिए यज्ञ, मंगल कवच पाठ और रुद्राभिषेक होते हैं।बहुत ही आसानी से यहाँ आपको कई कर्म काण्ड करने वाले ब्राह्मण मिल जायेंगे जो आपको इस दोष से मुक्ति के उपाय और मंगल ग्रह से सम्बंधित मंत्रो की जानकारी दे देंगे। तांबे के बर्तन, रक्तचंदन, मसूर की दाल और लाल फूल का दान यहाँ अत्यंत शुभ माना गया है।
२ .संकट मोचन हनुमान मंदिर, वाराणसी:MANGAL DOSH PRABHAW
हनुमान जी मंगल ग्रह के अधिपति माने जाते हैं।मंगल दोष से पीड़ित कोई भी व्यक्ति यदि हनुमान जी की आराधना करता है तो वो जरूर उसके पाप प्रभाव से मुक्त हो जाता है। कहा जाता है की हनुमान जी कलयुग में एक मात्र जीवित देव है इसलिए संकटमोचन मंदिर में मंगल ग्रह के दोषो की शांति अवश्य करा लेनी चाहिए । मंगलवार और शनिवार को यहाँ हनुमान चालीसा, सुंदरकांड और बजरंग बाण का पाठ विशेष फल देता है।भक्त लाल चोला, गुड़, चना और सिंदूर अर्पण कर अपनी मनोकामना पूर्ण करते हैं।
३ .मंगलनाथ मंदिर, उज्जैन (मध्य प्रदेश):MANGAL DOSH PRABHAW
मध्य प्रदेश भी संतो और साधुओं की नगरी कही जाती है और क्षिप्रा इसकी एक पवित्र नदी है। क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित यह मंगलनाथ मंदिर मंगल ग्रह का उत्पत्ति स्थल माना जाता है।प्रत्येक मंगलवार को विशेष ‘मंगल शांति पूजा’ और ‘नवग्रह अनुष्ठान’ किए जाते हैं जो यहाँ का मुख्य आकर्षण है। यहाँ वैदिक पंडित कुंडली देखकर विधिपूर्वक पूजा करते हैं।मध्य प्रदेश का यह मंदिर मांगलिक योग को शांत करने के लिए सबसे अधिक प्रसिद्ध है।
४ .बटेश्वर महादेव मंदिर, मुरैना (मध्य प्रदेश):MANGAL DOSH PRABHAW
मध्य प्रदेश के ही मुरैना जिले में स्थित यह शिव मंदिर अपने 100 से अधिक प्राचीन शिवलिंगों के लिए जाना जाता है।मंगलवार के दिन ही यहाँ शिव रुद्राभिषेक किया जाता है और शिव की पूजा विशेष रूप से मंगलवार के दिन सम्पूर्ण रूप से मंगल के दोषो का शमन करती है। यहाँ ध्यान और ध्यानपूर्वक मंत्र जाप मंगल दोष को शांत करने में सहायक होता है।
५ . श्री नवग्रह मंदिर, कुशीनगर (उत्तर प्रदेश): MANGAL DOSH PRABHAW
गोरखपुर जिले के कुशीनगर में स्थित इस मंदिर में नवग्रहों की विशेष मंडप व्यवस्था है।मुख्यतः इस तरह के मंदिर वही बनाये या स्थापित किये जाते है जहा नव ग्रहों की शांति कराइ जा सके।अतः कुशीनगर का यह अति प्राचीन मंदिर भी मंगल ग्रह के दोषो के शांति के लिए एक उत्तम स्थान है। मंगल ग्रह के लिए विशेष यंत्र, बीज मंत्र और स्तोत्रों का जाप यहाँ नियमित होता है।यह स्थान उन जातकों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है जो दीर्घकालिक मंगल ग्रह दोष से पीड़ित हैं।
६ .बद्रीनाथ धाम, उत्तराखंड:MANGAL DOSH PRABHAW
उत्तराखंड जैसे पौराणिक नगरी में स्थित और यहाँ के चार धामों में प्रमुख और विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत है बाबा बद्रीनाथ का मंदिर। जोशी मठ से थोड़ा आगे जाने पे बद्रीनाथ धाम के दर्शन होते है। यहाँ भगवान विष्णु के दर्शन करने से संपूर्ण ग्रहदोषों की शांति मानी जाती है।सप्तम, अष्टम या कुंडली के अशुभ भाव में स्थित मंगल के प्रभाव को शांत करने हेतु यहाँ दर्शन और दान करना शुभ माना गया है।यहाँ की पूजा विशेष विधि विधान से कराइ जाती है जो मंगल के समस्त पाप प्रभाव को निष्क्रिय करने में सक्षम होती है।
निष्कर्ष :
मंगल दोष शांति के लिए अन्य प्रभावशाली उपाय भी है जैसे मंगलवार को लाल वस्त्र धारण करें और प्रातः काल स्नान करके हनुमान मंदिर जाएँ,हनुमान चालीसा, मंगल कवच, बजरंग बाण और सुंदरकांड का पाठ नियमित करें,दान के रूप में: मसूर की दाल, गुड़, तांबे का बर्तन, रक्तवस्त्र, और लाल फूल चढ़ाएँ,पंडित से परामर्श लेकर ‘मंगल शांति यज्ञ’, ‘अंगारक दोष निवारण पूजा’ करवाएँ और बीज मंत्र का जाप करें:
ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः
इसे मंगलवार को 108 बार जाप करना अत्यंत फलदायक माना गया है।
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