Rafale Software Code Dispute: राफेल विवाद, फ्रांस ने भारत को सॉफ़्टवेयर कोड देने से किया इनकार,अब क्या होगा देश की सुरक्षा का?
21 मई 2025 ,Newsfacts24
Rafale Software Code Dispute-भारत और फ्रांस शुरू से ही आपसी संबंधो को हर स्तर पे मजबूत करने के पक्षधर रहे है यही कारण है की इन दोनों देशो के बीच हुआ राफेल लड़ाकू विमान सौदा दोनों देशों के रणनीतिक और रक्षा सहयोग का एक अहम स्तंभ रहा है।
हालांकि हालिया घटनाक्रम में फ्रांस द्वारा राफेल विमानों के सॉफ़्टवेयर के स्रोत कोड (source code) साझा करने से इनकार करने पर यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या भारत इस सौदे से पूरी रणनीतिक क्षमता प्राप्त कर पा रहा है।ये कोड भारत के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि बिना कोड की उपलब्धता के भारत राफेल की आक्रामक क्षमता और कार्य प्रणाली में अपने अनुसार कोई भी फेर बदल नहीं कर पायेगा।
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क्या प्रभावित होगी रक्षा आत्मनिर्भरता?:Rafale Software Code Dispute
Rafale Software Code Dispute-भारत सरकार ने फ्रांस से अनुरोध किया था कि वह राफेल विमानों के सॉफ़्टवेयर का स्रोत कोड साझा करे, ताकि स्वदेश निर्मित हथियार प्रणालियों, सेंसर और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को इन विमानों में अपनी सुविधा के अनुसार निर्बाध रूप से एकीकृत किया जा सके लेकिन फ्रांस ने यह मांग सुरक्षा कारणों और बौद्धिक संपदा की रक्षा के हवाले से अस्वीकार कर दी। विश्लेषकों के अनुसार, यह इनकार भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता (strategic autonomy) के रास्ते में एक बड़ी बाधा हो सकता है।
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राफेल सौदे की पृष्ठभूमि:Rafale Software Code Dispute
Rafale Software Code Dispute: 2016 में भारत ने फ्रांस से 36 राफेल विमानों की खरीद के लिए लगभग €7.87 बिलियन (₹59,000 करोड़) का सौदा किया था। यह एक सरकारी-से-सरकारी (G2G) समझौता था, जिसमें बिचौलियों की भूमिका नहीं थी। इस सौदे में भारत-विशिष्ट 13 तकनीकी जरूरते शामिल थी ,जिनमें प्रमुख हैं:
- हेलमेट-माउंटेड टारगेटिंग सिस्टम : पायलट का हेलमेट ही एक कंप्यूटर जैसा काम करता है, जिससे वह सिर घुमाकर ही दुश्मन पर निशाना साध सकता है।
- रडार चेतावनी रिसीवर (RWR)
- कम-फ्रीक्वेंसी जैमर
- बेहतर हवाई ईंधन भरने की क्षमता
इन सभी तकनिकी की कुल लागत €1.3 बिलियन थी, जिससे प्रति विमान कीमत में लगभग 41% की बढ़ोतरी हुई।
Rafale Software Code Dispute मेंमहत्वपूर्ण पहलू यह है कीडील के अनुसार 50% राशि भारत में निवेश की जानी थी, जिसमें से 30% रक्षा अनुसंधान एवं विकास (R&D) के लिए तय था। हालांकि, HAL और DRDO जैसे संगठनों को इसका सीमित लाभ मिला है। 36 में से एक राफेल विमान, जो भारत-विशिष्ट उन्नयनों के परीक्षण के लिए निर्धारित था, अब तक फ्रांस में ही है।
रणनीतिक साझेदारी का विस्तार:Rafale Software Code Dispute
राफेल सौदा केवल एक खरीद समझौता नहीं, बल्कि भारत-फ्रांस के बीच गहरे रणनीतिक संबंधों का परिचायक रहा है। दोनों देश संयुक्त रक्षा उत्पादन, समुद्री सहयोग और आतंकवाद विरोधी अभियानों में भी भागीदारी कर रहे हैं।Rafale Software Code Dispute
हाल ही में भारत ने फ्रांस से 26 राफेल मरीन लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए ₹63,000 करोड़ के नए सौदे को मंज़ूरी दी है, जो INS विक्रांत जैसे स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर्स के लिए उपयुक्त होंगे। यह सौदा नौसेना की क्षमता को नई ऊंचाई देने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
निष्कर्ष:Rafale Software Code Dispute
फ्रांस द्वारा राफेल विमानों के स्रोत कोड साझा न करने का निर्णय भारत की दीर्घकालिक रणनीतिक स्वायत्तता के लिए एक चुनौती है। हालांकि, भारत-फ्रांस रक्षा साझेदारी अब भी मजबूत है और आगे बढ़ रही है।Rafale Software Code Dispute
यह विवाद भारत के लिए एक संकेत है कि भविष्य में ‘टेक्नोलॉजी ट्रांसफर’ और ‘पूर्ण नियंत्रण’ को हर रक्षा सौदे का अनिवार्य हिस्सा बनाना आवश्यक है। भारत को अब अपनी स्वदेशी रक्षा तकनीकों को विकसित करने की दिशा में तेज़ी से कार्य करना होगा।Rafale Software Code Dispute
डिस्क्लेमर: उपरोक्त लेख विभिन्न संदर्भ स्रोत से लिए गए है,जिनके लिंक निचे दिए गए हैं। Rafale Software Code Dispute: राफेल विवाद