वट सावित्री व्रत 2025(Vat Savitri Vrat 2025): 26 मई को जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और कथा?

12 मई 2025, newsfacts24
अपना देश भारत शुरू से ही वैदिक और पौराणिक कथाओं के लिए जाना जाता रहा है।गार्गी ,अपाला ,परिणि और सावित्री जैसी अनेको महिलाओ ने समय समय पे वेदो और ऋचाओं में अपने ज्ञान ,हठ और सुकर्मो से अपनी उपस्थिति दर्ज कराइ है।इनमे से ही एक सावित्री जी जो की एक तपस्विनी और विदुषी स्त्री थीं, जिन्होंने सत्यवान को पति रूप में चुना और उनकी ही जान बचने के लिए जो हठ उन्होंने यमराज से किया उसी हठ उपरांत जो कथा वेदों और पुराणों में दृस्टिगत होती है उसे ही वट सावित्री व्रत कथा कहा गया।
उसी कथा के उपलक्ष्य में दिनांक 26 मई 2025, सोमवार को वट सावित्री व्रत का पर्व पूरे देशभर में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाएगा। यह पर्व विशेष रूप से सुहागन स्त्रियों द्वारा अपने पति की दीर्घायु और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है। इस दिन वट यानी बरगद के वृक्ष की पूजा करके सावित्री और सत्यवान की पौराणिक कथा सुनी जाती है। मान्यता है कि सावित्री ने अपने दृढ़ संकल्प और तप से यमराज से अपने पति को पुनर्जीवन दिलाया था।
वट सावित्री व्रत 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त:Vat Savitri Vrat 2025
- व्रत तिथि: सोमवार , 26 मई 2025 (इस दिन सोमवती अमावस्या भी है )
- अमावस्या तिथि प्रारंभ: 26 मई 2025, दोपहर 12 :11 बजे से
- अमावस्या तिथि समाप्त: 27 मई 2025, सुबह 08 :30 बजे तक
- पूजन का शुभ मुहूर्त: प्रातः 8 :52 बजे से 10:25 बजे तक (स्थानीय सूर्योदय के अनुसार)
वट सावित्री व्रत का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व:Vat Savitri Vrat 2025
वट सावित्री व्रत भारतीय संस्कृति में स्त्री के प्रेम, समर्पण और तप का प्रतीक माना जाता है। यह व्रत महाभारत और स्कंद पुराण जैसे ग्रंथों में वर्णित है। सावित्री ने जिस प्रकार अपने मृत पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस लिए, वह घटना इस व्रत का आधार बनी। इस दिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु की कामना के लिए निर्जला उपवास करती हैं और वट वृक्ष की पूजा करती हैं, जो त्रिदेवों का वास स्थल माना गया है।
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वट सावित्री व्रत की पूजन विधि:Vat Savitri Vrat 2025
इस दिन प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।मन सात्विक और लोभ रहित रखें अनिवार्य है। चूँकि ये व्रत सुहागिन महिलाओं एक लिए मत्वपूर्ण है इसलिए सुहागिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करें और पूजा की थाली में रोली, अक्षत, मौली, फल, मिठाई, दीपक, जल और सात प्रकार के अनाज रखें।बरगद जिसे हम वट वृक्ष भी कहते है उस वृक्ष के नीचे जाकर पूजा करें और तने में कच्चा सूत लपेटते हुए 108 परिक्रमा करें।
इसके उपरांत सबहि महिलाएं के साथ बैठ कर सावित्री-सत्यवान और यमराज की कथा सुनें अथवा पढ़ें और अंत में सुहाग सामग्रियां अन्य सुहागिनों को भेंट करें और आशीर्वाद प्राप्त करें।अंत में सभी सुहागिन महिलाये अपने पति की पूजा करती है और उनका साथ हर जन्म में बना रहे ऐसी भगवान से मनोकामना करती है.
व्रत के आध्यात्मिक लाभ:Vat Savitri Vrat 2025
वट सावित्री व्रत की पुराणों में बहुत ज्यादा मान्यता है। इस व्रत के करने से पति न केवल दीर्घायु होता है बल्कि उसके स्वास्थ्य की रक्षा भी होती है।परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है साथ लगन और मन से पूजा करने के कारण स्त्री को आत्मबल और मानसिक स्थिरता प्राप्त होती है।पुण्य फल की प्राप्ति होती है और यमराज की कृपा बनी रहती है।
2025 में वट सावित्री व्रत का विशेष संयोग:Vat Savitri Vrat 2025
इस वर्ष यह व्रत सोमवार के दिन पड़ रहा है, जो सूर्य देवता का दिन माना जाता है। इसके अलावा, यह दिन अमावस्या तिथि के साथ संयोग में पड़ रहा है, जिससे यह व्रत और भी अधिक फलदायी और प्रभावशाली माना जा रहा है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस व्रत में ग्रहों की स्थिति भी शुभ प्रभाव देने वाली है। इस दिन का महत्व इस लिए भी बढ़ जाता है क्योंकि इस दिन सोमवार को अमवस्या पड़ने से सोमवती अमावस्या भी साथ में ही रहेगी।
निष्कर्ष:
वट सावित्री व्रत केवल धार्मिक कर्मकांड नहीं, बल्कि भारतीय नारी की आस्था, शक्ति और प्रेम का उत्सव है। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि नारी संकल्प और श्रद्धा से असंभव को भी संभव बना सकती है। 26 मई 2025 को आने वाला यह पर्व हर स्त्री को अपनी शक्ति और परंपरा पर गर्व करने का अवसर देता है।